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Wednesday, September 3, 2014

काश ! “और वे लम्हे ......................??? खंड ६

काश ! और वे लम्हे  ......................???                                                                                 खंड ६

मेला पहुंचते ही धीरेन   ने कहा, "अरे राम खेलावन, सब गाडी मेला के थाना के बाहर लगा दो, फिर कौशल्या देवी से कहा कि "बड़की भौजी, हम बस अभी तहसीलदार साहब से मिल के आते हैं'

धीरेन जैसे ही वहां पहुंचा तो सामने तहसीलदार साहब को सामने  पायालगा जैसे तहसीलदार साहब उसी का रास्ता देख रहे थे, बड़े तपाक से मिले और बोले कि "आपका ही राह देख रहा था, आने में कोई परेशानी तो नहीं हुयीहम अभी चाय भिजवाते हैं" 

"अरे नहीं तहसीलदार साहबहम अभी - अभी राम खेलावन के यहाँ चाय पीकर चले हैं",

तहसीलदार साहब यह सुनकर चौंकें, पर उन्हों ने कुछ भी कहना उचित  नहीं समझा, बोले, "हम आपके साथ एक सिपाही कर देते हैं, सरकस केमैनजर को हम बोल कर सारा इन्तेजाम करावा दिए हैं, वह आप सब के बैठने के लिए कुर्सी का प्रबंध किया है, कोई दिक्कत नहीं होगी ।

"आपके रहते भला कैसी दिक्कतहम तो आपके आभारी हैं"

"अरे यह आप कैसी बात कर रहर हैं, बी. डी. ओ. साहब से इसका जिक्र भी मत कीजियेगा नहीं तो हमारी नौकरी बस गयी समझो"
धीरेन   मुस्कुरा कर रह गया, अच्छा तहसीलदार साहब, अब हमचलते है, सब को जरा मेला घूमा दें

"बड़की भौजी, सब इन्तेजाम हो गया है, चलिए जब तक सर्कस का टाइम होता है, सब को मेला घूमा लायें और लड़कन सब को झूला वगैरह पर झूला दें, फिर घर की औरतों से बोले कि तुम लोग को जो गरम कपड़ा खरीदना है, अभिये खरीद लो, फिर टाइम नहीं मिलेगा

"नतिन, तुम  और  जतिन,  सब  लड़कन को  झुला, चकरी का खेल दिखा लाओ और ठीक सरकस शुरू होने के टाइम के पहले पहुँच कर वहाँ हमलोगों का इन्तेजार करना, कोई लड़कन को इधर उधर मत जाने देना "और राम खेलावनतुम लोग दूसरा दिन आकर मेला घूम लेना, हम तहसीलदार साहब से बोल दिए हैं कि सरकस सिनेमा का पास बनवान देंगे"

"जी मालिक", इतना कह कर राम खेलावन अपने बैलों को खल्ली पानी और घास चरने को दियाबांकी  गाड़ीवानों ने भी ऐसा ही किया  

 "चलिए भौजीहम लोग गरम कपड़ा देख लेते हैं और आपको थोडा मेला घुमा देते हैं", फिर अपनी पत्नी, बिरेनहिरेन, उनकी पत्नियाँ, और अपने भतीजों की पत्नियों सब को साथ लेकर चल पड़ा

मेले का इन्तेजाम और दूकानों का एलाटमेंट बड़े सलीके से किया जाता था, सभी होटलें एक कतार  से लगी रहती, गरम कपड़ों की दुकानें जो पंजाब, काश्मीर, दार्जिलिंग और विभिन्न  जगहों से आती थी, उन सब को अलग से एक कतार  में जगह दी जाती थी, कहने का मतलब कि एक प्रकार की दुकानों को एक कतार से जगह एलाट

किया जाता था, ऐसा प्रबंध करने से सब को खरीदारी करने में बड़ी सहूलियत होती थी, गरम रेडीमेड कपडे बस इसी मेले मेँ मिलते थे, क्योंकि शहर में इस प्रकार की कोई    दूकान   नहीं थी, बहुत मांग रहती थी इनकी, कम्बल, कार्डिगन, स्वेअटर वगैरह सब उपलब्ध था, यही वजह थी कि परिवार के सभी सदस्य इस दूकान   की ओर जा रहे थे

धीरेन   रास्ते में सब को मेले की जानकारी साथ साथ देता जा रहा था, "भौजी ई रहा अपना लालमिया का दूकान   और इसके ठीक सामने बेदानी कंपनी, ई दोनों में छत्तीस का आंकड़ा  है, हर साल बेदनी कंपनी लालमिया वाली जगह में अपना दूकान   लगाना चाहता है, पर मेले के बंदोबस्त वाले जगह बदलने से इनकार कर देते हैं, बंदोबस्त करने वाले का कहना रहता है कि जो बरसों से जिस जगह पर अपना दूकान   लगा रहा है, उसको वही जगह एलाट होगा, हर साल ई बेदानी कंपनी वाला झंजट जरूर पैदा करता है

धीरेन ने इतनी बातें विस्तार से इसलिए बतलाई कि ये कपडे के दोनों दुकानें शहर के सबसे बड़ी दूकान थे, हर साल मेले में अपना स्टाल लगाते थे, और लाखों की कमाई कर जाते,   इसी बीच गरम कपड़ों वाली दुकानें आ गयी, सभी ने जम कर खरीदारी  की

 धीरेन   ने कहा " सरकस का  टाइम हो रहा है, चलिए भौजीनतिन, जतिन सब इन्तेजार कर रहा होगा"

"हाँ हाँ चलो", अरे सब दुलहिन और कनिया, अब सब चलो, सरकस का  टाइम हो रहा है, बहुते खरीदारी  हो गया"

सभी सरकस की ओर प्रस्थान कर गए, रास्ते में औरतों ने फिर चूड़ी की दूकान   पर रूक कर चूड़ियाँ  और बिंदी खरीदी, साल भर की खरीदारी जो ठहरी ।

सरकस के बाहर एक बार सभी फिर से मिलेबच्चों ने बड़ेआनंद लेकर झूलेचकरी इत्यादि खेलों का पूरा व्योरा दियाहवा मिठाई का तो विशेष रूप से जिक्र कियाजानते हैं , हाथों को फैलाकर बोला, "इतना बड़ा बड़ा हवाई मिठाई, मूहँ में रखते  ही गायब", खूब चटखारे ले ले कर कहानी सुनायी  

सरकस का मैनजर   तब तक वहां पहुँच चुका था, आते ही बोला, "आइये  सर अन्दर चलें, बैठने का सारा प्रबंध हमने पहले से कर के रख्खा है, शो अब शुरू होने ही वाला है"  

सरकस के अन्दर सब ने जैसे ही प्रवेश किया कि सर्कस का बिगुल जोरों से बज उठायह शो शुरू होने का सिगनल  था, फिर एक एक कर सारे  खिलाड़ी  ने कतार से मच पर आ कर  करतल  ध्वनि के बीच अपना अपना  अभिवादन प्रकट किया ।

सरकस शुरू हो चूका था, तरह तरह के खेल करतब दिखाए जा रहे थे, घूड़ सवारी, हाथी के द्वारा फूटबाल का खेला जाना, विभिन्न प्रकार के साईकिल, एक पहिया साईकिल, तोप से आदमी का निकलना, और ना जाने कितने खेल

तभी एक उदघोषणा हुयी, "अब दिल थाम के बैठियेअपनी जान की बाजी लगाकर आ रहें है, मौत के कुएं में मोटर साईकिल चलानेजरा सी चुक और मौत, इसलिए इसका नाम है "मौत का कुआँ"

स्टेज मौत के कुँए के लिए फटाफट तैयार किया गया, नेपथ्य से रोंगटे खड़े करने वाली संगीत की धुनें, सब सांस रोक कर खेल देखने में तन्मय थे, मोटर साईकिल की गड़ गड़ आवाज से स्टेडियम गूँज रहा था, एक एक साथ दो दो मोटर साईकिल, सच यह वास्तव में मौत का कुआँ ही था,  जैसे इस मौत का कुआँखेल का तमाशा  ख़तम हुआ, पूरा सर्कस तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा, बीच बीच में सरकस के हरफनमौला जोकर अपनी जोकरई से सबको हँसा   हँसा  के लोट पोट करता रहा, सरकस की लड़कियाँ भी किसी से कम नहीं थी, उन्हों ने भी, तरह तरह के खेल करतब दिखाए
तभी एक और उदघोषणा हुयी, अब आज के शो का अंतिम पड़ाव, हैरतगंज खेल और जांबाज खिलाडियों का दिल दहलानेवाला हवाई खेल, दिल के थाम के रखिये, और सभी से विनती है कि इस खेल के दौरान शांति बनायें रख्खे, एक जरा सी चुक और भारी हादसा, भाईओं, बहिनों और माताओं, ओरिएंटल सरकस की ख़ास पेशकस, एशिया का फेमस खेल, "ट्रापिज़"

इस खेल में रसियन खिलाड़ी जांबाज लडके और लड़कियां  भी भाग  ले रहें हैं, दिल थाम के बैठिये, आपके सामने अब बस कुछ ही छणोँ में पेश किया जाता है, एशिया का मसहूर खेल, "ट्रापिज़", तब तक हमारे मशहूर हरफन मौला जोकर  फंटूश श्री  ४२० के करतब का आनंद उठाईये

इधर श्रीमान ४२० फंटूश अपना तमाशा दिखला ही रहे थे कि  उदघोषणा  हुई, "दिल थाम के बैठिये और इस सरकस के सबसे मशहूर खेल "ट्रापिज़" का लुत्फ़ उठाईये, धीमे धीमे रसियन संगीत

की धुनों के बीच "ट्रापिज़" शुरू हो चूका था,   हवा में  तैरते हुए,  कलाबाजियां खाते हुए, एक झूले से  दूसरे झूले की ओर, लड़कें और लड़कियों ने कमाल के खेल का प्रदर्शन किया, सब मन्त्र मुग्ध हो उठें एवं करतल ध्वनि के साथ खिलाडियों का अभिवादन किया, एक बार पुनः सर्कस के सभी खिलाडी अंत में दर्शकों का  अभिवादन करने हेतु मंच पर इकठ्ठे हुए, जोरों की सिटी  बजी जो खेल समाप्त होने का संकेत था, धीरे धीरे सभी दर्शक बाहर की ओर प्रस्थान करने लगे ।

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